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परशुराम जन्मोत्सव : कौन हैं भगवान परशुराम ? जिन्होंने ना सिर्फ कृषि को बढ़ावा दिया, बल्कि समाज में इसके प्रति गौरव का भाव विकसित किया

धरती पर जब-जब भी अधर्म बढ़ता है, भगवान धर्म की स्थापना के लिए अवतरित होते हैं और अधर्म का नाश करते हैं. ऐसा ही समय था त्रेता युग का. जब भगवान परशुराम ने श्रीहरि विष्णु के छठे अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था. वैशाख शुक्ल तृतीया को त्रेता युम में भार्गव वंश में भगवान परशुराम का अवतरण हुआ था.

भगवान परशुराम शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत हैं. मानव समाज के विकास में भगवान का अतुलनीय योगदान रहा है. उन्होंने कृषि को बढ़ावा देने के लिए न सिर्फ भूमि का सुधार किया, बल्कि समाज में इस व्यवसाय के प्रति गौरव का भाव भी विकसित किया. भगवान परशुराम ने अपने ज्ञान कौशल से विश्व के महानतम योद्धा तैयार किए. गंगा पुत्र भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कर्ण उनके प्रमुख शिष्य रहे हैं.

भगवान परशुराम ने ज्यादातर विद्याएं अपनी अपने बाल्यावस्था में ही अपनी माता की शिक्षाओं से सीख ली थीं. वे पशु-पक्षियों तक की भाषा समझते हैं. यहां तक कि कई खूंखार पशु भी उनके स्पर्श मात्र से ही उनके मित्र बन जाते थे. भगवान परशुराम सप्त चिरंजीव में से एक हैं. उन्हें अमरत्व प्राप्त है.

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