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… तो नहीं गिरेगी हरियाणा सरकार ? अल्पमत के बाद भी BJP के पाले में है गेम, जानिए इस नियम से कैसे मुख्यमंत्री बने रहेंगे नायब सैनी !

Harayana Political Crisis: राजनीति में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. ये कहावत हरियाणा की सियासत को चरितार्थ करती है. चंद घंटों में भाजपा के अपने अब बेगाने हो चुके हैं. लगभग 3 महीने पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नायब सैनी की कुर्सी अब खतरे में आ गई है. ऐसा तब हुआ, जब उनके 3 निर्दलीय साथी विधायक बीजेपी का साथ छोड़ कांग्रेस को समर्थन दे दिया. अब सरकार के पास बहुमत के लिए 2 विधायकों की जरूरत है. हालांकि, विपक्षी दलों के पास भी फिलहाल बहुमत नहीं है. ऐसे में सियासी समीकरण गड़बाता नजर आ रहा है.

ऐसे गिरने से बचेगी सरकार

बता दें कि लगभग तीन महीने पहले मनोहर लाल खट्टर को हटाकर भाजपा ने नायब सैनी को हरियाणा के सीएम पद की शपथ दिलाई थी, जिसके बाद भाजपा ने फ्लोर टेस्ट में बहुमत हासिल कर लिया था. अब नियम की मानें तो 2 फ्लोर टेस्ट के बीच कम से कम 6 महीने का गैप होना चाहिए. ऐसे में विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं कर पाएंगे. जिससे नायब सैनी की सरकार नहीं गिरेगी.

हरियाणा का सियासी समीकरण

हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीट हैं. यहां बहुमत का आंकड़ 46 है. लेकिन वर्तमान में यहां की दो सीटें खाली हैं. फिर भी सरकार बनाने के लिए 45 विधायकों का समर्थन चाहिए. वर्तमान में सीटों के गणित की बात करें तो समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी के खाते से 3 सीटें खिसकती नजर आ रही है, क्योंकि बीजेपी के पास 40 अपने विधायक हैं. इनके अलावा 2 निर्दलीय और 1 विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी (गोपाल कांडा) का समर्थन भी बीजेपी के पास है. इस लिहाज से बीजेपी सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन है.

वहीं कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं. जबकि 3 निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. इसके अलावा जेजेपी के पास 10 विधायक हैं. एक विधायक INLD का है. इसके अलावा एक और निर्दलीय विधायक बचता है. यदि निर्दलीय विधायक कांग्रेस को समर्थन देते हैं तो कांग्रेर की तीन सीट बढ़ जाएगी. यानी कांग्रेस 45 सीट के साथ सरकार बना सकती है. अब कांग्रेस का दावा है कि फिलहाल बीजेपी सरकार अल्पमत में आ गई है.

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