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IPC, CrPC, IEA नहीं… अब 1 जुलाई से लाागू होगा नया कानून, जानिए इलाज में गड़बड़ी या लापरवाही का किसे ठहराया जा सकता है जिम्मेदार, क्या होगी सजा ?

भारत में 1 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने वाले हैं. इस संबंध में 24 फरवरी 2024 को अधिसूचना भी जारी हो चुकी है. यानी अब इंडियन पीनल कोड 1860 (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 (CrPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 भारत में लागू हो जाएगा. आज हम आपको भारतीय न्याय सहिंता 2023 की धारा 106 के बारे में बताने जा रहे हैं. जो कि IPC की धारा 304(A) के बदले में लाई जा रही है.

लेकिन इससे पहले ये जान लेते हैं कि भारतीय न्याय संहिता है क्या. दरअसल, भारतीय न्याय संहिता (BNS) भारत में आधिकारिक आपराधिक संहिता है. जिसे दिसंबर 2023 में ब्रिटिश भारत के काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को बदलने के लिए पेश किया गया था.

क्या है धारा 106(1)

अब बीएनएस (BNS) की धारा 106 के बारे में बात करते हैं. वकील डॉ. फैजल रिजवी के मुताबिक भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(1) में ये प्रावधान है कि यदि मेडिलक नैग्लिगेंस (डॉक्टर की लापरवाही) से किसी की डेथ होती है, उस अपराध बनेगा. उसके अलावा जो रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स हैं, उनकी मेडिकल प्रोसिजर में या मेडिकल कार्रवाई (इलाज) के दौरान किसी की नैग्लिगेंस से मौत होती है तो उन पर भी अपराध बनेगा. जो कि जमानती लेकिन संगेय अपराध होगा. जिसमें दो साल की सजा होगी. किसी भी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि डॉक्टर की लापरवाही से डेथ हुई है तो वो एफआईआर करा सकता है. उस पर एफआईआर होगी. इसके साथ-साथ डॉक्टर के खिलाफ कंज्यूमर फोरम एक्ट के तहत भी कार्रवाई होगी.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

फैजल रिजवी कहते हैं कि ये चिंता का विषय है. क्योंकि डॉक्टर अगर इलाज करता है और उसके खिलाफ अगर कोई रिपोर्ट करेगा, उसकी मेडिकल प्रकिया के बाद किसी की डेथ होती है तो उस केस रजिस्टर्ड हो जाएगा. फिर बाद डॉक्टर कोर्ट में बताते रहे कि मरीज के साथ कोई लापरवाही नहीं की गई है. तो ये एक चिंता का विषय है कि मेरे ख्याल से भारत दुनिया का एकमात्र देश है जहां मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के खिलाफ अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध होंगे. तो इससे डॉक्टरों को तो परेशानी है. लेकिन आम जनता को भी सोचना चाहिए कि अगर डॉक्टर इस डर से कि उस पर कोई केस ना बन जाए अगर इलाज नहीं करेंगे तो क्या होगा. इसको आपको सोचना है. ये सब आपके हाथ में है.

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में नया क्या ?

अब जानते हैं कि धारा 106 (A) के साथ इसमें और क्या नया है. जानकारी के मुताबिक बीएनएस में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं. वहीं निरस्त आईपीसी में से 19 प्रावधान हटा दिए गए हैं. 33 अपराधों के लिए कारावास की सज़ा बढ़ा दी गई है और 83 अपराधों के लिए जुर्माना बढ़ा दिया गया है. 23 अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सज़ा का प्रावधान किया गया है. वहीं 6 अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा की सजा पेश की गई है.

शरीर के खिलाफ अपराध : बीएनएस में हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाने, हमला करने और गंभीर चोट पहुंचाने पर आईपीसी के प्रावधान बरकरार हैं. इसमें संगठित अपराध, आतंकवाद और कुछ आधारों पर किसी समूह द्वारा हत्या या गंभीर चोट जैसे नए अपराध जोड़े गए हैं.

महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध : बीएनएस में बलात्कार, ताक-झांक, पीछा करने और महिला की गरिमा का अपमान करने पर आईपीसी के प्रावधान में कोई बदलाव नहीं हैं. यह सामूहिक बलात्कार के मामले में पीड़िता को बालिग के रूप में वर्गीकृत करने की सीमा को 16 से बढ़ाकर 18 वर्ष कर देता है.

संपत्ति के विरुद्ध अपराध : बीएनएस में चोरी, डकैती, सेंधमारी और धोखाधड़ी पर आईपीसी के प्रावधान पहले की तरह हैं. इसमें साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे नए अपराध जोड़े गए हैं.

राज्य के विरुद्ध अपराध : बीएनएस राजद्रोह को अपराध की श्रेणी से हटा देता है. इसके बजाय, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए एक नया अपराध है.

जनता के विरुद्ध अपराध : बीएनएस में पर्यावरण प्रदूषण और मानव तस्करी जैसे नए अपराधों को जोड़ा गया है.

कब क्या हुआ ?

11 अगस्त 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 पेश किया.

12 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 को वापस ले लिया गया.

12 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 लोकसभा में पेश किया गया.

20 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 लोकसभा में पारित हुआ.

21 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 राज्यसभा में पारित हुआ.

25 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 को भारत के राष्ट्रपति की सहमति मिली.

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