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जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी है. उच्चतम न्यायालय ने हेमंत सोरेन की याचिका खारिज करते हुए चुनाव के लिए अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है. सोरेन की ओर से दायर की गई इस याचिका में केजरीवाल की जमानत का हवाला दिया गया था.
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि हम आपसे संतुष्ट नहीं हैं. आपकी याचिका में स्पष्ट नहीं किया गया कि निचली अदालत ने मामले पर संज्ञान ले लिया है. आपने एक ही समय पर कोर्ट में दो मांग रखी है. एक अंतरिम जमानत और दूसरा गिरफ्तारी को चुनौती देने की. इधर ईडी ने दलील दी कि अगर हेमंत सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो जेल में बंद सभी नेता जमानत की मांग करेंगे.
17 मई को भी कोर्ट ने नहीं दी थी मंजूरी
बता दें कि इससे पहले भी बीते 17 मई को सोरेन की ओर से दायर की गई चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई की थी. जिस पर कोर्ट ने तत्काल राहत देने से मना कर दिया था. पिछली सुनवाई में सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तरह हेमंत सोरेन को भी 1 जून तक अंतरिम जमानत दी जाए. इस पर ईडी ने कहा कि सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. चुनाव रिहाई का आधार नहीं हो सकता. इधर कोर्ट ने तत्काल राहत देने से इनकार करते हुए ईडी को सोमवार (20 मई) तक लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था.
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत से समय मांगा था. पीठ ने एएसजी से अंतरिम जमानत की एप्लिकेशन के बारे में पूछा. जिसके जवाब में एएसजी ने कहा कि सोरेन को बहुत पहले (31 जनवरी) गिरफ्तार किया गया था और उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी और के चार चरण पहले ही खत्म हो चुके हैं.