जनता चुनेगी अपना महापौर ? नगरीय निकाय चुनाव में हो सकता है बदलाव, भाजपा विधायक दल प्रत्यक्ष प्रणाली पर जता चुका है सहमति

रायपुर. विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद अब इस साल के अंत यानी नवंबर-दिसंबर में नगरीय निकाय चुनाव होने हैं. इससे पहले चुनाव प्रक्रिया या नियमों में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं. राज्य सरकार ने इसे लेकर संकेत दिया है. रायपुर में हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में महापौर और अध्यक्ष पद के लिए प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराये जाने को लेकर चर्चा हुई. इस दौरान ज्यादातर विधायक प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने पर सहमति जताई है.

पहले कैसे होता था निकाय चुनाव
अविभाजित मध्यप्रदेश में 1999 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार ने राज्य में महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों से छीनकर जनता के हाथ में दिया था. तब नगर निगम रायपुर में तरुण चटर्जी पहले महापौर बने थे. वह 2000 से 2003 तक महापौर रहे. इसके बाद हुए 3 चुनावों में रायपुर में भाजपा के सुनील सोनी, कांग्रेस से डॉ. किरणमयी नायक और फिर कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे महापौर बने.
इसे भी पढ़ें : गुडबाय गर्मी ! प्रदेश में मानसून की गतिविधि बढ़ने की संभावना, आज से कई जिलों में आंधी-बारिश का अलर्ट
फिर हुआ बदलाव
भूपेश सरकार ने अविभाजित मध्यप्रदेश से शुरु हुई इस व्यवस्था को बदल दिया. उन्होंने नियम में बदलाव करके जनता से महापौर चुनने का अधिकारी छीन लिया और पार्षदों को महापौर चुनने का अधिकार दे दिया. इस नियम से रायपुर नगर निगम के एजाज ढेबर समेत अन्य निकायों में भी अप्रत्यक्ष अध्यक्ष और महापौर चुने गए थे.
अब चूंकि प्रदेश में फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है तो शासन प्रत्यक्ष चुनाव कराने को लेकर कदम उठा सकता है. सरकार चुनाव के नियमों में बड़े बदलाव कर सकती है.