बड़ा फैसला : कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्णय के बाद डिप्टी सीएम विजय शर्मा का बयान, कहा- प्रदेश में जाति प्रमाण पत्रों की जांच कराएगी सरकार
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रायपुर. कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले की हवा अब छत्तीसगढ़ की तरह आ रही है. जाति प्रमाण पत्रों को लेकर डिप्टी सीएम और गृह मंत्री विजय शर्मा ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में बीते 5 साल में बने जाति प्रमाण पत्रों की जांच कराएगी.
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डिप्टी सीएम ने कहा कि जिस धर्म में जाति की व्यवस्था नहीं है वहा आप जाति की व्यवस्था कैसे कर सकते हैं. छत्तीसगढ़ में पिछले 5 साल में नगरीय निकायों में बड़ी संख्या में ये प्रमाण पत्र बनाए गए हैं. उन सबको वैरिफाइ कराया जाएगा. विजय शर्मा कवर्धा विधानसभा से विधायक हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान यहां रोहिंग्या मुस्लमानों को अवैध रुप से बसाए जाने के मुद्दे ने काफी तुल पकड़ा था. इस मामले में शर्मा बेहद मुखर थे. अब उनके बयान से स्पष्ट लग रहा है.
धर्म आधारित आरक्षण की संविधान में कोई जगह नहीं- साय
वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसला का बीजेपी ने स्वागत किया है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी इस फैसला का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन लगातार संविधान की हत्या की साज़िश कर रही है. हम सभी जानते हैं कि धर्म आधारित आरक्षण की भारतीय संविधान में कोई जगह नहीं है.
5 लाख ओबीसी जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का फैसला
बता दें कि 22 मई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य के 5 लाख ओबीसी (OBC) प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया गया. अदालत के ये फैसला प्रदेश की ममता बनर्जी सरकार के बड़ा झटका है. न्यायालय ने 2010 के बाद से बने 5 लाख OBC प्रमाण पत्र रद्द करने फैसला सुनाया है. जिसके बाद अब ओबीसी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी के आवेदन भी अमान्य हो जाएंगे. मामले में कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि ओबीसी प्रमाण पत्र 1993 के एक्ट के तहत बने पश्चिम बंगाल पिछड़ा आयोग के हिसाब से तय प्रक्रियाओं के तहत ही बनाए जाएं. अदालत ने आगे कहा कि 2010 के बाद से बने 5 लाख OBC प्रमाण पत्र में 1993 के एक्ट का पालन नहीं किया गया है. प्रमाण पत्रों को बनाने में नियमों उल्लंघन किया गया है. लिहाजा 5 लाख OBC प्रमाण पत्र को रद्द करने का फैसला सुनाया गया है.
कोर्ट का फैसला स्वीकार्य नहीं- ममता बनर्जी
इस फैसले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बयान दिया. उन्होंने उच्च न्यायालय के इस निर्णय को मानने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वे ओबीसी का रिजर्वेशन नहीं कटने देंगी. उन्होंने कहा है कि ओबीसी दर्जा रद्द करने और ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने का अदालत का फैसला उनको स्वीकार्य नहीं है. वहीं उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी संकेत दे दिया.