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EVM पर कोर्ट का सुप्रीम फैसला : VVPAT के 100 प्रतिशत वेरिफिकेशन की याचिकाएं खारिज, ईवीएम से ही होगी मतदान, 45 दिन तक सुरक्षित रखी जा सकेगी पर्ची

दिल्ली. EVM से VVPAT के मिलान वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. साथ ही EVM को क्लीन चिट देते हुए ईवीएम से ही मतदान कराने का फैसला सुनाया है. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वोटिंग EVM से ही होगी. बैलेट पेपर से आज 21वीं सदी में मतदान कराना संभव नहीं. VVPAT की पर्चियों का 100 प्रतिशत मतदान भी नहीं किया जाएगा, बल्कि उम्मीदवार के हस्ताक्षर के साथ पर्चियां सील की जाएंगी और इन्हें 45 दिन तक सुरक्षित रख जाएगा.

शंका होने पर 7 दिन के भीतर करनी होगी शिकायत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि किसी उम्मीदवार को ऐसा लगता है कि काउंटिंग में गड़बड़ी हुई है या किसी भी तरह की छेड़छाड़ हुई है तो चुनाव आयोग के अधिकारियों के सामने आवाज उठा सकता है. उसके बाद इंजीनियर्स की टीम जांच करेगी और जांच का जो भी शुल्क होगा वो उम्मीदवार को ही देना होगा. यदि उम्मीदवार की शिकायत सही पाई जात है तो वो पैसा उसे वापस कर दिया जाएगा. वहीं अगर शिकायत गलत हुई तो शुल्क वापस नहीं दिया जाएगा. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि शंका होने पर उम्मीदवार को परिणाम आने के 7 दिन के भीतर शिकायत करनी होगी.

बिना वजह सवाल उठाना चिंता की बात- सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि संतुलित दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है. लेकिन किसी भी प्रणाली पर संदेह करना, संशय पैदा करना, इसकी सार्थक आलोचना की जा सकती है. लेकिन अगर उस पर बिना वजह सवाल उठाए जाएंगे तो वो चिंता की बात है. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि विश्वास और सहयोग की संस्कृत को बढ़ाकर ही हम अपने लोकतांत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं.

पर्ची की गिनती के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीन लगाने के सुझाव पर दें ध्यान- SC

वहीं कोर्ट ने चुनाव आयोग से भी ये कहा है कि पर्चियों की गिनती के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीनें किस तरह से लगा सकते हैं इस सुझाव पर ध्यान दीजिए. ये भी देखें कि क्या चुनाव चिन्ह के साथ प्रत्येक पार्टी के लिए एक अलग बार कोड की भी व्यवस्था की जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था ?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में सुनवाई की थी. जिसमें अदालत ने चुनाव आयोग से सवालों का जवाब मांगा था. कुछ जानकारियां लेने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. याचिकाओं में दावा किया गया था कि चुनाव परिणाम में हेरफेर करने के लिए मतदान उपकरणों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो वोटिंग मशीनों पर संदेह करने वालों और बैलेट पेपर के जरिए वापस चुनाव कराए जाने की वकालत करने वालों की विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकते. केवल संदेह के आधार पर हम निर्देश जारी नहीं कर सकते.

सुुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह सिर्फ इसलिए चुनावों को कंट्रोल नहीं कर सकते या निर्देश जारी नहीं कर सकते, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के बारे में संदेह उठाया गया है. हम किसी अन्य संवैधानिक अथॉरिटी के कामकाज को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. चुनाव आयोग ने हमारे संदेह दूर किए हैं. हम तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं होना चाहते. इसलिए हमने स्पष्टीकरण मांगने के बारे में सोचा.

सर्वोच्च न्यायालय ने किया था ये सवाल

  1. कंट्रोल यूनिट या वीवीपैट में क्या माइक्रो कंट्रोलर स्थापित है?
  2. माइक्रो कंट्रोलर क्या एक ही बार प्रोग्राम करने योग्य है?
  3. EVM में सिंबल लोडिंग यूनिट्स कितने उपलब्ध हैं?
  4. चुनाव याचिकाओं की सीमा 30 दिन है और इसलिए ईवीएम में डेटा 45 दिनों के लिए संग्रहित किया जाता है. लेकिन एक्ट में इसे सुरक्षित रखने की सीमा 45 दिन है. क्या स्टोरेज की अवधि बढ़ानी पड़ सकती है?

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