
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है. याचिका में ये मांग की गई है कि यदि नोटा (NOTA) को बहुमत मिलता है तो उस निर्वाचन क्षेत्र में हुए चुनाव को शून्य घोषित कर दिया जाए. साथ ही वहां नए सिरे से चुनाव कराया जाए. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध में निर्देश देने की मांग की गई है.

याचिका में यह कहते हुए नियम बनाने की भी मांग की गई है कि नोटा से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 साल की अवधि के लिए सभी चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए. साथ ही नोटा (NOTA) को “काल्पनिक उम्मीदवार” के रूप में उचित और कुशल रिपोर्टिंग/प्रचार सुनिश्चित किया जाए.
सूरत मामले से मचा बवाल
याचिका में हालही में सूरत (गुजरात) में हुए निर्वाचन का भी जिक्र किया गया है. गुजरात के सूरत में निर्विरोध चुनाव जीतने जैसी स्थिति से बचने के लिए NOTA को उम्मीदवार मानने की मांग की गई है. जिसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
SC ने प्रस्ताव के साथ ECI से मांगा जवाब
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को एक प्रस्ताव के साथ जवाब देने का निर्देश दिया है. वहीं सुनवाई के दौरान पीठ ने भी सूरत का जिक्र करते हुए कहा कि अगर यह व्यवस्था होती तो वहां निर्विरोध चुनाव जीतने की नौबत नहीं आती.
सूरत में क्या हुआ ?
बीते 22 अप्रैल को बीजेपी के उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्वाचन आयोग ने बिना चुनाव लड़े निर्वाचित घोषित कर दिया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सूरत निर्वाचन क्षेत्र में 8 उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया था. वहीं इसके एक दिन पहले ही आयोग ने कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन रद्द कर दिया था. इस तरह मुकेश निर्विरोध निर्वाचित हो गए. वे मौजूदा लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले पहले सांसद बन गए.