
लोकसभा चुनाव हर चरण के बाद मतदान के आंकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ एडीआर की याचिका पर चुनाव आयोग से मतदान के आंकड़े केंद्रवार 48 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने में होने वाली समस्या के बारे में पूछा. सर्वोच्च न्यायालय के इस सवाल पर चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील ने एक रात में डेटा इकट्ठा नहीं हो सकने की बात कही. वकील ने दलील दी कि मतदान के आंकड़े इक्ट्ठा करने की प्रक्रिया में समय लगता है.

सुनवाई के दौरान एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि निर्वाचन आयोग को बस इतना करना है कि पोलिंग अधिकारी से फॉर्म-17 के आंकड़े लेकर वेबसाइट पर डाल दें. हर मतदान अधिकारी शाम तक फॉर्म-17 सबमिट करता है. शाम 6 से 7 बजे तक मतदान पूरा होने के बाद रिटर्निंग अधिकारी के पास पूरे निर्वाचन क्षेत्र के आंकड़े होते हैं. इस प र सीजेआई ने चुनाव आयोग के वकील से पूछा कि आपको ऐसा करने में क्या परेशानी है.
पहले वोटर लिस्ट, फिर ईवीएम अब आंकडों पर सवाल- ECI के वकील
चुनाव आयोग के वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने बताया कि एक रात में डेटा इकट्ठा नहीं हो सकता है. यह एक सेट पैटर्न है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव की घोषणाओं से पहले वोटर लिस्ट, फिर ईवीएम पर सवाल उठाया गया. ऐसे सवाल उठाने से नए मतदाताओं पर प्रभाव पड़ता है. वोटर्स की संख्या कम हो सकती है.
24 मई को अगली सुनवाई
सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के बाद 24 मई को ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान उचित पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए अगली तारीख दी है. बता दें कि पिछले हफ्ते एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने अपनी 2019 जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन दायर किया था. जिसमें चुनाव पैनल को निर्देश देने की मांग की गई थी कि मतदान के तुरंत बाद आंकड़ों को अपलोड करें.