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क्या आपके घर में भी है ये फूल ? तो फौरन हटा दें, केरल में मचा रखा है कोहराम, एक की हो चुकी है मौत, मंदिरों में चढ़ाने पर भी लगी रोक

फूल की वजह से किसी की जान भी जा सकती है ये केरल में हाल ही में सामने आए एक मामले से पता चल रहा है. इस एक फूल ने केरल में तबाही मचाकर रखी है. केरल सरकार के द्वारा नियंत्रित त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) और मालाबार देवस्वोम बोर्ड (एमडीबी) के मंदिरों में इन फूलों के उपयोग पर रोक लगा दी गई है. ये फूल है ओलिएंडर फ्लावर (Oleander Flower).

ये फूल है अर्ली और कनाविरम (Oleander Flower). जिसे कनेर के नाम से भी जाना जाता है. इस फूल को कनेर की प्रजाति का ही बताया जा रहा है. इन दो न्यास में इस फूल पर पाबंदी लगाने का असर केरल के 2500 से ज्यादा मंदिरों पर भी दिखेगा. क्योंकि ये सभी मंदिर इन्हीं दो न्यास के अंदर आते हैं. इन फूलों के बारे में कहा जाता रहा है कि ये जहरीले होते हैं. हाल ही में एक नर्स की मौत ने इस मामले को और बड़ा बना दिया है. जिसके बाद मंदिर में इस फूल पर बैन लगा दिया गया है.

नर्स की हो चुकी है मौत

केरल पुलिस के मुताबिक ये फैसला 24 साल की नर्स सूर्या सुरेंद्रन की मौत के बाद लिया गया है. सुरेंद्रन को यूके में एक नई नौकरी मिली थी और वो 28 अप्रैल को जाने वाली थी. इससे पहले उसने अपने घर के बाहर लगी ओलिएंडर (Oleander Flower) पौधे की कुछ पत्तियां चबा लीं. जब एयरपोर्ट के लिए निकली ते उनमें पॉइजनिंग के लक्षण दिखे. कोच्चि एयरपोर्ट पर सुरेंद्रन ने बताया कि उन्होंने आखिरी चीज फूल के पत्ते खाए थे. उन्हों अस्पताल में भर्ती किया गया था. जिसके कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई. पोस्टमार्टम में भी पॉइजनिंग की पुष्टि हुई है.

पशुओं की मौत के मामले

बता दें कि दक्षिण केरल में ओलिएंडर खाने से जानवरों की मौत होने का मामला भी सामने आ चुका हैं. केरल के फॉरेंसिक सर्जन ने भी इसकी पुष्टि की है. केरल समेत देशभर के मंदिरों में ओलिएंडर के फूल चढ़ाया जाना आम है. इस फूल को उत्तर भारत में कनेर भी कहते हैं. ये पीले, गुलाबी और सफेद रंग के होते हैं. हालांकि इसकी कई किस्में होती हैं और हर किस्म का रंग-गंध अलग रहता है. जिस हिसाब से उसका नाम भी बदल जाता है.

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