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छत्तीसगढ़ लोकसभा: दूसरे चरण में तीन सीटें, कई समीकरण

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में छत्तीसगढ़ की जिन तीन लोकसभा सीटों राजनांदगांव महासमुंद और कांकेर में वोटिंग होनी है, वहां कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमेज पर भरोसा है तो कांग्रेस अपने उम्मीदवारों के चेहरे के दम पर चुनावी मैदान में है.

राजनांदगांव सीट का समीकरण

सबसे हाई प्रोफाइल सीट राजनंदगांव की है. यहां मौजूदा सांसद संतोष पांडेय का मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से है. जब से भूपेश बघेल की उम्मीदवारी घोषित हुई है तब से लगातार उन पर हमले हो रहे हैं. उन पर हमला सिर्फ भारतीय जनता पार्टी नहीं कर रही है. बल्कि कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेता भी कर रहे हैं लेकिन तमाम हमलो और आलोचनाओं के बाद भी भूपेश बघेल ने जमकर अपना कैंपेन किया और एक-एक दिन में दो दर्जन से ज्यादा गांव का दौरा कर सभाएं की.

चुनाव को करीब से देखने वाले बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में भूपेश की पकड़ मजबूत है. जबकि शहरी इलाकों में संतोष पांडेय मजबूत हैं. किसान नेता की छवि और पूर्व मुख्यमंत्री होने का लाभ भूपेश बघेल को है. संतोष पांडेय को हिंदुत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का फायदा है.

महासमुंद सीट का समीकरण

महासमुंद लोकसभा सीट पर वोटिंग जारी है. इस सीट पर पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और बीजेपी की उम्मीदवार पूर्व विधायक रूप कुमारी चौधरी हैं. इस सीट पर फैसला साहू समाज करेगा. पिछले कई चुनाव से साहू समाज के उम्मीदवार यहां से जीते आए हैं. महासमुंद, धमतरी और गरियाबंद जिले से मिलकर बनी यह लोकसभा सीट साहू बाहुल्य है. ताम्रध्वज साहू अपने समाज के बड़े पदाधिकारी रहे हैं. जबकि रूप कुमारी चौधरी पटेल समाज से ताल्लुक रखती हैं. बसना और सरायपाली विधानसभा में पटेल काफी तादाद में हैं. इस सीट पर बड़ा वोट बैंक आदिवासियों और अनुसूचित जनजाति का भी है.

ताम्रध्वज साहू के साथ सामाजिक समीकरण है तो चौधरी के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सीट पर जाकर प्रचार किया है. बीजेपी भी अपने तमाम साहू समाज से ताल्लुक रखने वाले नेताओं को उतार कर ताम्रध्वज साहू के समीकरण को बिगड़ने की पूरी कोशिश कर चुकी है.

बीजेपी ने बिरनपुर की घटना के बाद ताम्रधर साहू के ना जाने और उनके बाहरी होने का मामला उठाया. बताया जाता है कि इसके जवाब में ताम्रध्वज के रणनीतिकारों ने बीजेपी द्वारा समाज की टिकट काटने के मुद्दे को उठा दिया. इस सीट पर जीत और हार मोदी मैजिक और साहू समाज के वोटों का ध्रुवीकरण के गणित पर टिका है. जिसका असर ज्यादा होगा वो चुनाव जीत जायेगा.

कांकेर का समीकरण

दूसरे चरण की तीसरी सीट कांकेर की है. जहां बीजेपी बेहद मजबूत मानी जाती है. लेकिन इस बार यहां कांटे की टक्कर है. कांग्रेस ने फिर से बिरेश ठाकुर पर दांव खेला है. तो बीजेपी ने पूर्व विधायक भोजराज नाग को मौका दिया है. बिरेश ठाकुर को स्वच्छ छवि और लगातार सक्रिय रहने का लाभ मिल रहा है. वहीं भोजराज नाग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से नैया पार लगने की उम्मीद है. इस सीट पर हिंदुत्व बीजेपी के लिए प्ल्स प्वॉइंट है. तो वहीं कांग्रेस ने आरक्षण का मुद्दा उठाकर आदिवासियों को लामबंद करने की कोशिश की है. कांकेर लोकसभा सीट में बालोद जिले के वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

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