Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : SC के फैसले के बाद ईडी ने दर्ज किया नया मामला, ECIR में आबकारी मंत्री, IAS और कांग्रेस नेताओं की पूरी फेहरिस्त, फिर आ सकता है बुलावा

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के शराब उद्योग में कथित भ्रष्टाचार की नए सिरे से जांच करने के लिए एक नया मामला दर्ज किया है. घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि एजेंसी के लिए मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आगे बढ़ने के लिए कोई अनुसूचित अपराध स्थापित नहीं हुआ था.

वित्तीय अपराध जांच एजेंसी ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा 17 जनवरी को दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मंगलवार सुबह एक ईसीआईआर (प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट) – जो पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के बराबर है – दर्ज की है. इसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, कई कांग्रेस नेताओं, नौकरशाहों और व्यापारियों सहित 70 लोगों को 2,000 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार के आरोप में नामजद किया गया था.

विधानसभा चुनाव के एक महीने बाद दर्ज हुई FIR

एजेंसी के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि “हमने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में एक नया मामला दर्ज किया है. ताकि बड़ी साजिश की नए सिरे से जांच की जा सके”. छत्तीसगढ़ पुलिस की एफआईआर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी. जो ईडी के लिए आगे बढ़ने के लिए उचित अपराध की श्रेणी में आती है. एक दूसरे अधिकारी ने भी नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पीएमएलए (PMLA) के तहत नया मामला दर्ज होने से हम पिछले एक साल में शराब घोटाले की जांच में मिली सफलता को जारी रख सकेंगे.” पुलिस की एफआईआर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के करीब एक महीने बाद दर्ज की गई.

PMLA के तहत अपराध नहीं बनता- कोर्ट

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि “चूंकि कोई अनुसूचित अपराध नहीं है, जैसा कि उपरोक्त निर्णय (पवना डिब्बर) में कहा गया है, इसलिए अपराध की कोई आय नहीं हो सकती है. यदि अपराध की कोई आय नहीं है, तो जाहिर तौर पर पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध नहीं बनता है”.

पीठ ने कहा कि ईडी आयकर उल्लंघन के आधार पर आगे नहीं बढ़ सकता. क्योंकि उन अपराधों को पीएमएलए के तहत अनुसूचित के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है. डिब्बर फैसले में अदालत ने घोषणा की कि आपराधिक साजिश का आरोप पीएमएलए के तहत तभी लगाया जा सकता है जब यह एक सूचीबद्ध अनुसूचित अपराध से संबंधित हो. पीएमएलए विशिष्ट अपराधों को सूचीबद्ध करता है, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम और सीमा पार प्रभाव वाले अन्य शामिल हैं.

शराब घोटाले से शुरू हुआ विवाद

विवाद मूल रूप से छत्तीसगढ़ के शराब उद्योग में भ्रष्टाचार के आरोपों से उत्पन्न हुआ, जिसमें अधिकारियों और प्रभावशाली पदाधिकारियों को शामिल किया गया. ईडी ने आरोप लगाया कि 2019 और 2022 के बीच अनियमितताएं हुईं, जब राज्य द्वारा संचालित शराब खुदरा विक्रेता सीएसएमसीएल के अधिकारियों ने डिस्टिलर्स से रिश्वत ली. तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर अपने नेताओं को निशाना बनाने के लिए ईडी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

फिर आ सकता है बुलावा

अधिकारी ने कहा कि सरकार बदलने के बाद राज्य पुलिस ने एक नई प्राथमिकी दर्ज की. जिसमें तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक (एमडी) अरुण पति त्रिपाठी, पूर्व नौकरशाह विवेक ढांढ और कांग्रेस नेता अनवर ढेबर का भी नाम शामिल है. प्राथमिकी में अनुमान लगाया गया है कि कथित मामले में संदिग्धों द्वारा लगभग 2,161 करोड़ की अपराध आय (पीओसी) उत्पन्न की गई थी. मामले में संघीय एजेंसी की नवीनतम ईसीआईआर का मतलब है कि वह अब उन सभी को पूछताछ के लिए फिर से बुला सकती है और शुरू से ही अपनी पूरी हो चुकी जांच को आगे बढ़ा सकती है.

राजनीतिक अधिकारियों को भी चढ़ाया गया चढ़ावा

इससे पहले, जुलाई 2023 के पहले सप्ताह में दायर अपनी चार्जशीट में, जिसे अब खारिज कर दिया गया है, ईडी ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में मुख्य आरोपी और ऐजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर द्वारा एकत्र किए गए 2,161 करोड़ में से 776 करोड़ राजनीतिक अधिकारियों के पास गए.

PMLA को लेकर सुप्रीम कोर्ट का 2022 का जजमेंट

सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी और अन्य बनाम भारत संघ मामले में अपने 2022 के फैसले में कहा था कि ईडी सीबीआई या किसी अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा दर्ज की गई आधार एफआईआर के आधार पर पीएमएलए के तहत अभियोजन शुरू करता है. ईडी पहले किए गए अपराध की आय से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच करने के लिए ईसीआईआर दर्ज करता है और ऐसे अपराध के लिए पहले से ही एक एफआईआर मौजूद है. यदि आधार एफआईआर को रद्द कर दिया जाता है या आरोपी को आरोपों से मुक्त कर दिया जाता है, तो ईडी पीएमएलए के तहत अपनी जांच जारी नहीं रख सकता है.

पूर्व ईडी निदेशक करनाल सिंह ने कहा कि ‘यदि जांच के दौरान ईडी किसी अपराध से संबंधित जानकारी एकत्र करता है और उसे पुलिस या संबंधित अपराध से संबंधित मामले दर्ज करने के लिए अधिकृत एजेंसियों को भेजता है, तो इसे एक स्वतंत्र जांच माना जाएगा.’

निराधार आरोप पर काम कर रही ईडी- भूपेश

इस मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जांच को राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि “हमने हमेशा कहा है कि ईडी एक निराधार अपराध पर काम कर रही है और इसका मकसद पूरी तरह से राजनीतिक है. मैं पिछले तीन सालों से यह कह रहा हूं. अगर उन्होंने (ईडी) अब छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू की एफआईआर पर मामला दर्ज किया है, तो यह कई सवाल खड़े करता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि छत्तीसगढ़ में FIR केवल ईडी की सलाह और निर्देश पर दर्ज की गई थी. इसलिए ये एक पूर्वगामी अपराध कैसे हो सकता है. बघेल ने आगे कहा कि निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ पुलिस ने ईडी के संदर्भ में मामले में कार्रवाई की. जिसने चुनावों के बाद स्थानीय पुलिस को एक विस्तृत जांच रिपोर्ट भेजी. यह स्पष्ट नहीं है कि इसे कब भेजा गया था. यह पहली बार नहीं है कि ईडी ने मामला दर्ज करने के लिए यह रास्ता अपनाया है. लेकिन घटनाओं का एक समान क्रम वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित याचिकाओं के एक समूह का हिस्सा है. नया मामला ईडी को अपनी जांच फिर से शुरू करने की अनुमति दे सकता है. क्योंकि शीर्ष अदालत ने सोमवार को मूल पीएमएलए जांच को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि पूर्ववर्ती अपराध स्थापित नहीं हुआ था.

भाजपा सिर्फ झूठ फैला रही थी- भूपेश

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को कहा कि इस फैसले ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संघीय जांच एजेंसियों के “राजनीतिक दुरुपयोग” को उजागर कर दिया है. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ईडी ने शराब घोटाले का मामला दर्ज कर भाजपा को प्रचार का हथियार दे दिया. भाजपा ने पूरे चुनाव में कांग्रेस सरकार को बदनाम करने की कोशिश की. आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा सिर्फ झूठ फैला रही थी.

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