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‘ये मैच फिक्सिंग है’… सूरत लोकसभा में बिना वोटिंग के ही जीता BJP उम्मीदवार, जानिए पूरा सियासी खेल…

Loksabha Election 2024: सियासत में कब क्या हो जाए ये तो कोई भी नहीं बता सकता. ऐसा ही एक मामला लोकसभा चुनाव के बीच सामने आया है. भाजपा ने बिना नतीजे आए ही एक लोकसभा सीट में दर्ज कर लिया है और कांग्रेस को रिजल्ट आने से पहले बड़ा झटका लगा है. जिसके बाद कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है. कांग्रेस ने इसे मैच फिक्सिंग बताया है.

बता दें कि सूरत लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया था, जिसके बाद 8 और उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया. यही वजह रही कि भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध सांसद चुन लिए गए हैं और भाजपा ने नतीजे से पहले ही सूरत की सीट कब्जा जमा लिया है.

जानकारी के अनुसार, कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन पर हुए उनके प्रस्तावकों के साइन पर भाजपा ने सवाल खड़ा किया था. जिस पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए नामांकन रद्द कर दिया था. जिसके बाद चुनाव आयोग के अधिकारी ने उन्हें उनके प्रस्तावकों को पेश करने के लिए कहा था, लेकिन उनके तीनों प्रस्तावकों ने चुनाव अधिकारी के सामने एफिडेविट कर कहा कि निलेश कुम्भानी के फॉर्म में उनके हस्ताक्षर नहीं है, जिसके बाद से तीनों प्रस्तावक गायब हो गए.

वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे मैच फिक्स करार दिया है. उन्होंने एक्स पर लिखा, “लोकतंत्र खतरे में है. आप कालक्रम समझिए. सूरत जिला चुनाव अधिकारी ने सूरत लोकसभा के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार नीलेश कुम्भानी का नामांकन “तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर के सत्यापन में विसंगतियों” के कारण खारिज कर दिया. समान आधार पर, अधिकारियों ने सूरत से कांग्रेस के स्थानापन्न उम्मीदवार सुरेश पडसाला के नामांकन को खारिज कर दिया. कांग्रेस पार्टी बिना उम्मीदवार के रह गई है. बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल को छोड़कर बाकी सभी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया. 7 मई 2024 को मतदान से लगभग दो सप्ताह पहले 22 अप्रैल, 2024 को सूरत लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार को “निर्विरोध निर्वाचित” घोषित किया गया.

आगे जयराम रमेश ने लिखा, मोदी के अन्यायकाल में एमएसएमई मालिकों और व्यवसायियों के संकट और गुस्से ने भाजपा को इतनी बुरी तरह से डरा दिया है कि वे सूरत लोकसभा को “मैच-फ़िक्स” करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे उन्होंने 1984 के लोकसभा चुनावों के बाद से लगातार जीता है! हमारे चुनाव, हमारा लोकतंत्र, बाबासाहेब अम्बेडकर का संविधान – सभी एक पीढ़ीगत खतरे में हैं. यह हमारे जीवनकाल का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है!”

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